Vedkant Sharma

Vedkant Sharma

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

पहली शादी का मज़ा

बड़ा होने के बाद में मम्मी पापा के साथ पहली बार किसी शादी में गया. बहुत मज़ा आया. मेने तो थोडा डांस भी किया. वीडियो भेज रहा हु आशा करता हु की आपको पसंद आएगा.

समय का पहिया चलता है, दिन ढलता है. रात आती है, सुबह होती है.

देखते दखते समय आगे निकलता जा रहा है. मेने जीवन का पहला साल पूरा किया और दूसरी दीवाली भी देखी. इस बार दिवाली पर इतनी रोनक नहीं थी. फोजी चाचा भी छुटियो पर घर आये हुए है. मैंने उनको पुरे एक साल बाद देखा. पिछले कुछ महीने अच्छे नहीं गुजरे. मम्मी-पापा दोनों की तबियत ठीक नहीं थी. मेराऔर मम्मा का जन्मदिन, दिवाली दोनों एसे ही निकल गए. पापा ने कहा कोई बात नहीं. साब मिलकर एक बड़ी सी पार्टी करेगे. जब भी होगी आप सभी को जरुर बताऊंगा. मै अब दोड़ने लग गया हु. मेरी शरारते भी बढती जा रही है.

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

बड़े दिनों के बाद



बड़े दिनों के बाद आज आप लोगो से मिल रहा हु. पापा के पास बहुत काम था और मै भी नाना के घर चला गया था. पापा पुरे तीन महीने बाद हमें लेने आये. मेने अंकल के घर भी कुछ दिन बिताये. कुछ फोटो याद के तौर पर भेज रहा हु. आशा करता हु की आप सभी को पसंद आएगी. में बताना भूल गया की में अब पुरे एक साल का होने जा रहा हु. चार दिन बाद मेरा जन्मदिन आने वाला है. में अब चलने लगा हु और एक दो शब्द बोलने भी लगा हु. अगली पोस्ट में अपने कुछ और फोटो भेजुगा. तब तक के लिए बाय.

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

एक और सीमा चिन्ह अर्जित कर लिया आज.

 पांच दिन बाद में पांच  महीने का हो जाऊंगा. घुटने के बल खड़े होकर आज मेने  एक और सीमा चिन्ह अर्जित कर लिया. मेरे इस पहले प्रयास का पहला फोटो भेज रहा हु. 

बुधवार, 19 जनवरी 2011

चलते रहने का नाम ही जीवन है





में २९/१/२०११  को  चार महीने का हो जाउगा. पल्टी मरने की शुरुआत भी कर दी और पलंग से गिरने की भी. लोगो का चेहरा पहचानकर मुस्कुराना या रोना भी अब सीख लिया है. भईया और दीदी अब मेरे साथ खेलने लगे है. बस इन टिके लगाने वालो से कोई बचाए यार. बड़े जालिम किस्म के आदमी होते है. बस आव देखते है ना ताव सुई ठोक देते है.  खेर चलते रहने का नाम ही जीवन है. कुछ फोटो आपके लिए पोस्ट कर रहा हु. आशा करता हु की आपको पसंद आयेगे.

चलते रहने का नाम ही जीवन है.

में २९/१/२०११  को  चार महीने का हो जाउगा. पल्टी मरने की शुरुआत भी कर दी और पलंग से गिरने की भी. लोगो का चेहरा पहचानकर मुस्कुराना या रोना भी अब सीख लिया है. भईया और दीदी अब मेरे साथ खेलने लगे है. बस इन टिके लगाने वालो से कोई बचाए यार. बड़े जालिम किस्म के आदमी होते है. बस आव देखते है ना ताव सुई ठोक देते है.  खेर चलते रहने का नाम ही जीवन है. कुछ फोटो आपके लिए पोस्ट कर रहा हु. आशा करता हु की आपको पसंद आयेगे.