Vedkant Sharma

Vedkant Sharma

बुधवार, 19 जनवरी 2011

चलते रहने का नाम ही जीवन है





में २९/१/२०११  को  चार महीने का हो जाउगा. पल्टी मरने की शुरुआत भी कर दी और पलंग से गिरने की भी. लोगो का चेहरा पहचानकर मुस्कुराना या रोना भी अब सीख लिया है. भईया और दीदी अब मेरे साथ खेलने लगे है. बस इन टिके लगाने वालो से कोई बचाए यार. बड़े जालिम किस्म के आदमी होते है. बस आव देखते है ना ताव सुई ठोक देते है.  खेर चलते रहने का नाम ही जीवन है. कुछ फोटो आपके लिए पोस्ट कर रहा हु. आशा करता हु की आपको पसंद आयेगे.

चलते रहने का नाम ही जीवन है.

में २९/१/२०११  को  चार महीने का हो जाउगा. पल्टी मरने की शुरुआत भी कर दी और पलंग से गिरने की भी. लोगो का चेहरा पहचानकर मुस्कुराना या रोना भी अब सीख लिया है. भईया और दीदी अब मेरे साथ खेलने लगे है. बस इन टिके लगाने वालो से कोई बचाए यार. बड़े जालिम किस्म के आदमी होते है. बस आव देखते है ना ताव सुई ठोक देते है.  खेर चलते रहने का नाम ही जीवन है. कुछ फोटो आपके लिए पोस्ट कर रहा हु. आशा करता हु की आपको पसंद आयेगे.